काला जादू ( 3 )
काला जादू 3____
इस दौरान अश्विन की नजर विंशती पर पड़ी, नीले सूट में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी ।
अश्विन और प्रशांत को देखकर विंशती ने एक एक प्लेट में पराठें , अचार ,दही, चटनी और आलू छोले की सब्जी परोस कर उन दोनों की दी ,उसके बाद वह दोबारा परांठे बनाने लगती है ।
"खाओ दादा.... "प्रशांत ने अश्विन से कहा।
अश्विन नाश्ता करने के समय नजरे बचा बचा कर विंशती को देख रहा था उसने देखा कि इस दौरान वह चेहरे से बहुत गंभीर लग रही थी ।
वह दोनों नाश्ता कर ही रहे थे कि तभी वही हरी साड़ी वाली महिला वहाँ आ जाती है और विंशती से कहती है " तुमी ओ खाओ..... आमि राँदिती..... ( तुम भी खाओ...... मैं बनाती हूँ....) "
" शोमपन्न होए गेलो माँ.....( हो ही गया माँ) " विंशती ने परांठा पलटते हुए कहा।
" प्रोशांतों.... ऐनी के? ( प्रशांत..... ये कौन है?) " उस हरी साड़ी वाली महिला ने कहा।
"एई अमारो बोंधु आश्विनो.... गाटाकालो एखाने शिफ्ट हाएच्छे .....( ये मेरा दोस्त है अश्विन..... कल ही यहाँ शिफ्ट हुआ है......) " प्रशांत ने कहा।
" क्या करते हो बेटा? ( तुमीककि कारो? ) " उस महिला ने पूछा।
" जी मैं यहाँ की एक कंपनी में प्रोडेक्ट मैनेजर के तौर पर कार्यरत हूँ.....आज मेरा पहला दिन है तो प्रशांत ने कहा कि वह मुझे छोड़ देगा। " अश्विन ने कहा।
" तुमी कि बाँग्ला बालातो पारो ना? ( क्या तुम बाँग्ला बोल नहीं सकते? ) "
" जी नहीं बट मैं समझ लेता हूँ, यहाँ रहकर बोलना भी सीख ही जाऊँगा..... " अश्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।
" तुम कहाँ शे है ? "
" जी मैं पटना से हूँ..... "
" शादी हो गया तुम्हारा ? "
" जी नहीं.... अभी सेटल हो जाऊँ फिर इस बारे में कुछ सोचूँगा......"
अब तक नाश्ता बन चुका था इसलिए विशंती भी अपनी प्लेट में खाना लेकर प्रशांत के बाजू में बैठ गई ।
अब तक प्रशांत और अश्विन ने अपना नाश्ता खत्म कर लिया था इसीलिए वह दोनों उठ कर जाने लगे।
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प्रशांत एक बड़ी बिल्डिंग के आगे अपनी गाड़ी रोकता है , वह एक बड़ी बहुमंजिला बिल्डिंग थी, जो कि पूरी की पूरी सफेद रंग में रंगी हुई थी ,उस बिल्डिंग का मुख्य द्वार बहुत विशाल था जो कि काले रंग का था।
मुख्य द्वार पर ही एक छोटा सा चैम्बरनुमा कमरा बना हुआ था, जिसमें दो चौकीदार बैठे हुए थे , अश्विन पास जाकर उन्हें अपना ज्वाइनिंग लेटर दिखाता है, वह लेटर देखकर वह दोनों अश्विन के लिए उस बिल्डिंग का गेट खोल देते हैं और उनमें से एक कहता है " 6th फ्लोर "।
उसके बाद अश्विन उस इमारत में अंदर की तरफ बढ़ने लगता है , अंदर जाते ही सामने की तरफ दो लिफ्ट लगी हुई थी, उन लिफ्ट के ठीक बगल में ही सीढ़ियाँ भी बनी हुई थी।
अश्विन 6th फ्लोर तक जाने के लिए लिफ्ट का बटन दबाता है, उसने लिफ्ट का बटन दबाया ही था कि पीछे से सिगरेट पीते हुई 2-3 लड़के लड़कियाँ वहाँ आ जाते हैं ।
उनमें दो लड़के थे और एक लड़की। उनमें से उस लड़की का रंग गेहूँआ था ,उसकी आँखें नीली थी उसका कद 5 फीट से ज्यादा ही था , उसके बाल मध्यम थे जिन्हें उसने एक सलीके से कटवा रखा था ,उसकी उम्र 22-23 के आसपास लग रही थी , उसने पीली शर्ट के साथ काली पेंसिल स्कर्ट पहनी हुई थी।
उनमें से एक लड़के का रंग सावँला था, उसका कद अश्विन के आसपास ही था, उसका पेट थोड़ा बाहर की ओर निकला हुआ था , उसने काली शर्ट के साथ काली पतलून पहनी हुई थी ।
दूसरे लड़के का रंग गेहूँआ और उसका कद अश्विन से थोड़ा ज्यादा था, उसके बाल छोटे छोटे सलीके से कटे हुए थे , उसने हरी शर्ट के साथ काली पतलून पहनी हुई थी।
उन तीनों के पास ही आॅफिस का एक एक बैग था और वह तीनों ही अश्विन को देखकर अजीब तरह से हँस रहे थे, अश्विन ने एक नज़र उन तीनों को देखा और फिर वापस लिफ्ट की तरफ देखने लगा, कुछ देर में लिफ्ट वहाँ आ गई, लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही वह तीनों अश्विन को धक्का देकर उससे आगे बढ़ गए और लिफ्ट का बटन दबा दिया।
अश्विन ज्यादा किसी से फालतू बहस करना पसंद नहीं करता था इसीलिए उसने उन्हें बिना कुछ कहे सीढ़ियों की तरफ रूख किया, अश्विन को वहाँ से जाता देखकर वह तीनों सिगरेट पीते हुए जोर जोर से हँसने लगते हैं।
अश्विन काफी फिट था इसीलिए वह बिना ज्यादा थके 6th फ्लोर तक आसानी से चढ़ गया ।
6th फ्लोर पर उसने देखा कि सीढ़ियों के ठीक सामने ही एक बड़ा सा स्लाइडिंग डोर लगा हुआ था, उस दरवाजे के बाहर एक शख्स टेबल कुर्सी लगाकर रजिस्टर लेकर बैठा हुआ था ।
अश्विन ने उस शख्स के पास जाकर अपना ज्वाइनिंग लेटर दिखाया, उस शख्स ने वह लेटर देखकर कहा " एन्ट्री करा....( एन्ट्री कीजिए......) "
यह सुनकर अश्विन ने उस रजिस्टर पर अपना नाम और टाइमिंग लिख दी, उसके बाद वह स्लाइडिंग डोर खोलकर अंदर की तरफ बढ़ गया ।
वह एक बहुत ही विशाल कमरा था, वहाँ लाईन से बहुत सारी कंप्यूटर स्क्रीन लगी हुई थी, उन सभी स्क्रीन के सामने एक एक कुर्सी लगी हुई थी, उनमें से कुछ कुर्सियाँ खाली थी और कुछ पर लोग बैठे हुए थे,उनमें वह लोग भी शामिल थे जो अभी अश्विन को लिफ्ट के पास मिले थे, दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनकर सारे लोग अश्विन की तरफ देखने लगते हैं, लेकिन फिर दोबारा सारे अपने अपने काम में लग जाते हैं, सबके साथ साथ वह तीनों भी अश्विन को देखने लगते हैं लेकिन वह तीनों उसे वहाँ देखकर चौंक जाते हैं ,और उसे निरंतर घूरते रहते हैं ।
अश्विन उन सबको नजरअदांज कर पीछे छोड़ते हुए सामने उपस्थित एक कैबिन की तरफ बढ़ने लगता है, इस दौरान वह तीनों उसे ही घूरे जा रहे थे।
अश्विन उस कैबिन में जाकर वहाँ मौजूद कुर्सी पर बैठकर उस कैबिन का कंप्यूटर सिस्टम आॅन करने लगता है, उस कैबिन का दरवाजा पारदर्शी था इसीलिए अश्विन वहाँ क्या कर रहा था वह उन तीनों को साफ साफ दिखाई दे रहा था।
अश्विन को उस कैबिन में बैठकर कंप्यूटर सिस्टम पर काम करता देखकर वह तीनों बुरी तरह से हक्के बक्के रह जाते हैं और एक दूसरे का मुँह ताँकने लगते हैं।
उन तीनों को इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि जिसे उन लोगों ने अभी नीचे परेशान किया वह उनका सीनियर था और अब कहीं उन तीनों को इसका खामियाजा ना भुगतना पड़े।
कुछ टाईम बाद जब सारे लोग वहाँ आ गए तब अश्विन अपने कैबिन से बाहर आया और कहा " hello everyone.... I'm your new product manager ashwin.....nice to meet you all.....( हैलो आप सभी को.... मैं हूँ आपका नया प्रोडेक्ट मैनेजर अश्विन.... आप सभी से मिलकर खुशी हुई.....) मुझे उम्मीद है कि हम सभी साथ में मिलकर अच्छा काम करेंगे, अब आप सभी भी मुझे अपना अपना परिचय दें..... "
यह सुनकर उन तीनों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी , इस दौरान वहाँ खड़े सारे लोग बारी बारी से अश्विन को अपना अपना परिचय दे रहे थे , अब उस लड़की की बारी आ चुकी थी ,सभी लोगों की नजरें उसी पर टिकी हुई थी।
" हैलो सर, माई नेम इज अनुष्का.....( हैलो सर, मेरा नाम अनुष्का है......) "
इस पर अश्विन कुछ नहीं बोला जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं था फिर वह उसके बगल में खड़े उसके साथियों की ओर देखने लगता है ,अब साँवली रंगत के उसके साथी ने कहा " हैलो सर..... माई नेम इज पीयूष.... " फिर वह गेहुँए रंगत का व्यक्ति कहता है" हैलो सर, माई नेम इज मोनीष..... " उसके बाद अश्विन उनसे आगे खड़े लोगों से उनका परिचय लेने लगता है।
इस दौरान वह तीनों आशंकित नजरों से अश्विन को ही घूरे जा रहे थे, कुछ देर बाद जब सबका परिचय हो गया तब अश्विन वापस जाकर अपने कैबिन में बैठ गया।
अश्विन के जाते ही सारे लोग वापस से अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठकर अपने अपने कामों में लग जाते हैं।
" अनुष्का.... तुमको क्या लोगता है कि क्या ये हमारा नया प्रोडेक्ट मैनेजर हमारा बारे में कोई चाल चोल रहा है? "मनीष ने कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते हुए फुसस्फुसाते हुए कहा।
" मुझे क्या पोता मोनीष? लेकिन इशका इरादा शोही नोहीं लोग रहा मुझे..... " अनुष्का ने कहा।
" अनुष्का ऐशे डोराओ मत ना...... " पीयूष ने कहा।
" डोरा नहीं रहीं हूँ जो लोग रहा है वही बता रही हूँ...... " अनुष्का ने अश्विन को देखते हुए कहा।
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शाम के समय -
अश्विन अपना बैग में सारा सामान रखकर अपने फ्लैट की तरफ जाने के लिए लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगता है कि तभी पीछे से अनुष्का ,पीयूष और मनीष आ जाते हैं," हैलो सर..... " उन तीनों ने अश्विन से कहा।
यह सुनकर अश्विन ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वे तीनों सिर झुकाकर खड़े थे, तब अश्विन ने कहा " हैलो.... " उसके बाद अश्विन वापस सामने की तरफ देखने लगा।
" सोर सुबह जो हुआ उसका लिए हम बहुत शोर्मिंदा हैं..... " उनमें से पीयूष ने कहा।
" होना भी चाहिए..... "अश्विन ने बिना उनकी ओर देखे कहा ,अब तक लिफ्ट भी आ चुकी थी, इसलिए अश्विन लिफ्ट के अंदर बढ़ गया, लिफ्ट में बढ़ते ही उसने लिफ्ट का बटन दबाया और उन तीनों से कहा " अगर आप तीनों को जाना है लिफ्ट से तो मैं निकल जाऊँ इससे? " यह कहते समय अश्विन के चेहरे के भाव एकदम शाँत थे जैसे उसे उनसे कुछ फर्क ही ना पड़ता हो ।
" साॅरी सर..... प्लीज हमें शोर्मिंदा मत कीजिए ऐशे ... " अनुष्का ने कहा।
इस पर अश्विन कुछ नहीं बोला और इसी के साथ ही उस लिफ्ट का दरवाजा बंद हो गया।
" यार डोन्ट थिंक कि सोर हमें हमारा किए का कोई सजा देंगा..... " मनीष ने कहा।
" यस..... ही इज़ सो कूल..... " अनुष्का ने कहा , और ये कहते समय उसकी आँखें चमक उठी।
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अश्विन अपने फ्लैट में पहुँचा , उसने अपना बैग बेडरूम में रखा और फिर नहाने निकल गया।
नहाकर वह थोड़ी देर के लिए बाल्कनी में टहलने आया तो उसने पाया कि प्रशांत भी अपनी बाल्कनी में खड़े होकर आसपास का नज़ारा देखते हुए काॅफी पी रहा था।
अश्विन को देखकर प्रशांत ने हाथ हिलाते हुए कहा "अरे आश्विन दादा..... तुम आ गया? "
" जी जस्ट अभी आया..... " अश्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।
" काॅफी पियेगा दादा? "
" अरे नहीं नहीं.... "
" तो चाय पी लीजिए..... हमारा माँ चाय बना रहा है.... आप भी आ जाईए.... "
" जी ऐसे रोज रोज आपको परेशान करना अच्छा नहीं लगता..... " अश्विन ने हिचकिचाते हुए कहा।
" इसमे पड़ेशानी कैशा दादा? तुम यहाँ अकेला रहता है और हम तुम्हारा पड़ोसी है तो ऐशे में पड़ोसी पड़ोसी के काम नहीं आएगा..... "
" आपकी बात भी सही है..... चलिए फिर मैं आता हूँ बट कल की चाय मेरी तरफ से..... " अश्विन ने कहा।
" हाँ बिल्कुल दादा डन..... "
उसके बाद अश्विन प्रशांत के फ्लैट में आ गया, प्रशांत की माँ ने अश्विन को चाय के साथ पकौड़े परोसे।
अश्विन और प्रशांत बाल्कनी में बैठकर चाय पीते हुए बात कर रहे थे, कुछ देर बाद प्रशांत के दरवाजे के घंटी बजती है।
घंटी बजने के कुछ देर बाद विंशती वहाँ एक 20-22 साल के लड़के के साथ आती है , उस लड़के का रंग गोरा था और बाल भी सलीके से कटवा कर छोटे किए हुए थे , उसके चेहरे पर भौहों और सिर के अतिरिक्त कहीं भी बालों का नामोनिशान तक नहीं था, उस लड़के ने नारंगी टी शर्ट के साथ नीली जींस पहनी हुई थी ।
वह लड़का प्रशांत को देखकर मुस्कुराते हुए कहता है " नोमश्कार दादा..... केमोन आछे? ( नमस्कार भईया .... कैसे हो? ) "
" अमि भालो.....तुमी? (मैं ठीक हूँ..... और तुम? ) "
" well I'm also fine.... " उस लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा।
उस लड़के को देखकर अश्विन ने प्रशांत से मुस्कुराते हुए पूछा " ये कौन हैं? तुम्हारा दोस्त? "
" ना दादा.... ये विंशती का मंगेतर है.... "
क्रमश:........
रोमा...........
Rupesh Kumar
18-Dec-2023 07:39 PM
Nice
Reply
Gunjan Kamal
18-Dec-2023 05:43 PM
👌👏
Reply
Khushbu
18-Dec-2023 05:09 PM
Nyc
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